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भाग्य का लिखा कभी नहीं मिटता- Buddhist Story On karma or fate bigger

इस कहानी को पढ़ने से आपको क्या हासिल होगा?

सही कहा है किसी ने समय से बलवान इस दुनिया में कुछ भी नहीं है और यह बात भी सच है कि आपके भाग्य में जो लिखा है वह होकर ही रहेगा चाहे आप उसे लाख बदलने की कोशिश कर ले आप उससे कितना भी बचने की कोशिश करें लेकिन जो आपकी तकदीर में लिखा है वह एक दिन जरूर होगा इसे किसी भी तरह से कोई भी बदल नहीं सकता चाहे वह जितना भी जोर लगा ले तकदीर का लिखा कोई नहीं मिटा सकता यह बात सच है इस कहानी को इसलिए आप अंत तक सुने क्योंकि यह कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी जबजब आप जीवन में बड़ी मुसीबतों और बुरे वक्त में फंस जाएंगे तब यह कहानी आपको याद आएगी | 






कहानी की सुरुवत 


एक बार एक किसान का बेटा था एक बार उस किसान के घर में एक बेटे का जन्म हुआ किसान बहुत ही गरीब था और वह दोनों भाई साथ में रहा करते थे धीरे-धीरे बच्चा बड़ा हुआ लेकिन उसके पास खाने पीने के संसाधन नहीं थे उसका बाप जंगल में लकड़ी काटकर जीवन गुजारता था एक समय वह लकड़ी काटने के लिए जंगल में गया और उसका पैर फिसल गया और वह वहीं गिर गया उसे चोट लगी और उसके पिता का वहीं देहांत हो गया पिता के चले जाने से मां और बेटा अनाथ हो गए उनका कोई सहारा नहीं था लेकिन जो चाचा थे वे उनकी देखभाल करते थे और उन्हें खाने पीने को देते थे लेकिन वे भी बोले कि कितने दिन करें क्योंकि उनका भी एक परिवार था और अब गरीबी से उनकी हालत बहुत बुरी हो गई थी | 


एक समय एक महात्मा उस कुटिया में कुछ पानी मांगने के लिए आए तब उस लड़के की मां बाहर आई और बोली महात्मा हमारे घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं है मैं आपको सिर्फ एक गिलास पानी दे सकती हूं महात्मा बोले मुझे तुम बस एक गिलास पानी दे दो मुझे और कुछ नहीं चाहिए मां अंदर गई और एक गिलास पानी लेकर आई महात्मा ने पानी पिया तभी बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी महात्मा ने पूछा लगता है आपके घर में शिशु का जन्म हुआ है मां ने कहा हां इस घर में शिशु का जन्म हुआ है लेकिन यह बहुत ही मनहूस बालक है मां ने बताया इसके पैदा होते ही कुछ समय बाद उसके पिता लकड़ी काटते समय पेड़ से गिर गए और उनका देहांत हो गया |


अब हम बिल्कुल अनाथ हैं महात्मा ने कहा नहीं यह कोई मनहूस बालक नहीं है यह तो यहां का राजा है मां ने कहा राजा यह राजा कैसे हो सकता है हमारे घर में खाने के लिए कुछ नहीं है हम इतने गरीब कि कल कैसे जिंदा रहेंगे इस बारे में सोचकर हमें डर लगता है और आप कह रहे हैं कि यह एक दिन राजा बनेगा यह भला कैसे राजा बनेगा महात्मा ने कहा इसके हाथों की लकीरों में लिखा है कि एक दिन यह नगर का राजा बनेगा तब तक लड़के के चाचा आए और इस बात को सुन लिया उन्होंने कहा महात्मा जी आप बे फालतू की बातें कर रहे हो यह राजा कैसे बन सकता है हमारी हालत और घर की दुर्दशा देखिए किसी भी की पर अगर हम कितना भी प्रयास कर ले हम राजा नहीं बन सकते 


महात्मा ने कहा तुम जितनी मर्जी कोशिश कर लो लेकिन जो तकदीर में लिखा है वह होकर रहेगा उस रात उसके चाचाचा को नींद नहीं आई वह रात भर सोचता रहा कि अगर महात्मा की बात सच हो गई तो फिर क्या होगा यह भला राजा क्यों बनेगा मेरा बेटा राजा क्यों नहीं बन सकता मेरे बेटे की तकदीर में कुछ नहीं लिखा और इस लड़के की तकदीर में राजा बनना लिखा है जिसने पैदा होते अपने बाप को  मार दिया जो कुछ भी हो जाए मैं इसे राजा बनने नहीं दूंगा उसने सोचा कि लड़के को मार देना चाहिए साधु की बात सच होने से पहले यह काम करना होगा इसीलिए उसने रात को कुटिया से बच्चे को चुराया और जंगल की तरफ चल दिया जंगल में एक नदी बहती थी उसने ले जाकर उस बच्चे को नदी में फेंक दिया और वहां से भाग आया धीरे-धीरे कई साल बीत गए जंगल में एक महात्मा को वह बच्चा मिला वह महात्मा बड़े ही तेजस्वी तपस्वी और विद्वान थे उन्होंने उस बच्चे को उठाया और उसका पालन पोषण किया उसे शिक्षा दी और वह वहीं पला बढ़ा धीरे-धीरे समय बीतता गया और वह बहुत ही होनहार और सुंदर बालक बन गया


उसे हर चीज की ज्ञान थी समय का खेल बदल गया एक बार उस नगर का राजा जंगल में शिकार करने के लिए निकला शिकार का पीछा करते-करते वह रास्ता भटक गया उसे रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था कि घर कैसे जाए क्योंकि जंगल बहुत ही घना और डरावना था तभी उस पर एक शेरनी ने हमला कर दिया और वह लहू लुहान हो गया उसके सैनिकों की टोली रास्ते में कहीं भटक गई थी और वह आगे चलने में सक्षम नहीं था अब राजा को शेर मारने वाला ही था तभी एक लड़के ने आकर उसकी जान बचाई और शेर को भगाया राजा हैरान रह गया उसने पूछा तुम कौन हो तुम्हारा नाम क्या है लड़के ने कहा मुझे मेरा नाम नहीं पता  लेकिन मैं अपने गुरुदेव के साथ रहता हूं राजा ने पूछा कहां है तुम्हारे गुरुदेव मुझे उनसे मिलवा हो लड़के ने कहा आप पहले अपने घावों और जख्मों को भरिए उसके बाद मैं गुरुदेव से आपकी बात करवाऊंगी उसने राजा को संभालते हुए अपनी कुटिया में ले गया और गुरुदेव से मिलवाया गुरुदेव ने सबसे पहले उनके जख्मों पर मरहम पट्टी लगाई और उनकी देखभाल की धीरे-धीरे दो-तीन दिन बीत गए उस लड़के ने राजा की खूब सेवा की और धीरे-धीरे राजा ठीक हो गया एक दिन राजा ने महात्मा से पूछा मैं पहले भी जंगल में कई बार आया हूं मैंने कुटिया भी कई बार देखी है लेकिन यह लड़का कौन है मैंने इसे पहले कभी नहीं देखा महात्मा ने कहा मुझे नहीं पता लेकिन यह अनाथ बच्चा एक दिन मुझे इस तालाब में मिला था 


उस दिन से मैं इसका पालन पोषण कर रहा हूं और इसे अपने संतान की तरह मानता हूं इन दोनों की बातें एक लकड़हारे ने सुन ली वह कोई और नहीं नहीं उस लड़के का चाचा ही था उसे यकीन हो गया कि यह वही लड़का है जिसे उसने कई साल पहले नदी में फेंक दिया था यह देखकर उसके मन में जलन पैदा हो गई और उसने सोचा कि किसी भी कीमत पर अब इसे राजा बनने नहीं देगा चाहे जितना भी जोर लगा ले अगले दिन राजा वहां से चले गए उन्होंने महात्मा से कहा मैं कुछ और भ्रमण करूंगा इसीलिए तुम इस पत्र को लेकर राजमहल चले जाओ लड़के का चाचा जिसे लड़के की पहचान का यकीन हो गया था ने सोचा कि अगर वह इस पत्र को ले जाकर राजा के साथ साजिश करेगा तो वह खुद ही राजा बन जाएगा और अपना सारा जीवन सुखी से काटेगा इस इरादे से उसने लड़के का पत्र चुरा लिया और महल की ओर चल पड़ा महल के द्वार पर द्वारपाल ने उसे रोका और पूछा तुम गरीब तुमसे महल के अंदर कैसे जा सकते हो उसने बताया कि उसे राजा ने भेजा है और इस पत्र पर राजा के हस्ताक्षर भी हैं द्वारपाल ने पत्र देखा तो उसमें राजा के हस्ताक्षर थे उसे महल में ले जाया गया राजा ने उस पत्र में लिखा था कि जो व्यक्ति यह पत्र लेकर आए वह एक होनहार और विद्वान लड़का है


 इसीलिए मैं अब राजपाट छोड़कर सन्यास लेने जा रहा हूं और अगला राजा इसे ही बना देना नीचे राजा के हस्ताक्षर भी थे रानी को शक हुआ कि पत्र चोरी किया गया है और यह व्यक्ति झूठ बोल रहा है उन्होंने कुछ सैनिकों को उसके साथ भेजा ताकि सच्चाई पता चल सके सैनिक उसके पीछे-पीछे गए और रात को उसकी कुटिया में देखा कि उसने लड़के को बांध रखा था और खुद जोर से हंस रहा था आज मैंने इसकी तकदीर को बदल दिया अब यह राजा नहीं बन सकता चाहे जो मर्जी कर लो मैंने इसकी तकदीर को पलट दिया सैनिकों ने यह सब सुन लिया और उसे देख भी लिया उन्होंने उस चाचा को पकड़कर वापस महल में ले आए और लड़के को भी ले आए उन्होंने लड़के को राजा बना दिया और उसके चाचा को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया उसके कर्मों की सजा उसे मिल गई लाख कोशिश करने के बावजूद भी वह लड़का राजा बन गया चाचा को कारागार में ले जाया जा रहा था तभी महात्मा वहां आए उन्होंने कहा मैंने सालों पहले कहा था कि यह लड़का राजा बनेगा उन्होंने चाचा की तरफ देखा और हंसते हुए बोले मैंने तुमसे कहा था कि भाग्य का लिखा कोई नहीं मिटा सकता तुम जितनी भी बड़ी कोशिश कर लो तुम चाहकर भी इसे रोक नहीं सकते तुमने इस लड़के को मारने की कोशिश की उसे घर में बांध दिया और हर संभव प्रयास किया कि यह राजा ना बने तुमने तो उसकी जान लेने की भी कोशिश की थी लेकिन उसके बावजूद भी तुम कुछ नहीं कर सके अंत में वही हुआ जो उसकी तकदीर में लिखा था यह बात सच है तुम्हें तुम्हारे कर्मों की सजा मिल गई और उसे उसका भाग्य मिला |


बाकी अगर यह कहानी आपको अच्छी लगी हो तो आप कमेंट करके अपनी राय दे सकते हैं |



भाग्य का लिखा कभी नहीं मिटता- Buddhist Story On karma or fate bigger भाग्य का लिखा कभी नहीं मिटता- Buddhist Story On karma or fate bigger Reviewed by Sonu Singh on July 22, 2024 Rating: 5

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